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दिव्या देशमुख ने जीता महिला विश्व कप का ख़िताब, बनी देश की 88वीं ग्रांडमास्टर

by Devansh Singh - 28/07/2025

भारत की दिव्या देशमुख अब महिला विश्व कप विजेता बन चुकी हैं। बाटुमी में चल रहे महिला विश्व कप 2025 के टाई ब्रेक मुकाबलों में दिव्या ने भारत की ही शीर्ष खिलाड़ी कोनेरु हम्पी को 1.5-0.5 से हराकर यह ऐतिहासिक खिताब अपने नाम किया। इस जीत के साथ ही दिव्या भारत की 88वीं ग्रांडमास्टर भी बन गई हैं। यह क्षण ना केवल भारत बल्कि दिव्या के लिए भी बेहद ऐतिहासिक और गौरवपूर्ण है, क्योंकि वे महिला विश्व कप जीतने वाली भारत की पहली महिला खिलाड़ी बन गई हैं। साथ ही इस जीत के साथ उन्होंने महिला कैंडिडेट्स टूर्नामेंट में भी अपनी जगह पक्की कर ली है। दोनों भारतीय खिलाड़ियों के बीच खेला गया यह फाइनल मुकाबला बेहद रोमांचक रहा। क्लासिकल बाजियां ड्रॉ रहीं, हालांकि पहली बाजी में दिव्या ने हम्पी पर काफी दबाव भी बनाया था, पर उन्हें जीत नहीं मिल सकी। लेकिन टाई ब्रेक मुकाबलों में दिव्या ने शानदार खेल दिखाते हुए खुद को साबित किया और अंततः विश्व कप विजेता बनकर इतिहास रच दिया। पढ़े देवांश सिंह का यह लेख, Photo: FIDE/Anna Shtourman

हर बाधा को मात देकर बनीं चैंपियन

दिव्या देशमुख का महिला विश्व कप जीतने का सफर बिल्कुल भी आसान नहीं था। प्री-क्वार्टर फाइनल में उनका सामना दुनिया की नंबर 5 खिलाड़ी चीन की झू जिनर से हुआ, लेकिन दिव्या ने शानदार खेल दिखाते हुए उन्हें पराजित कर क्वार्टर फाइनल में जगह बनाई। इसके बाद उन्हें भारत की ही अनुभवी ग्रैंडमास्टर हारिका द्रोणावल्ली की चुनौती का सामना करना पड़ा, जहां एक बार फिर दिव्या विजयी रहीं और सेमीफाइनल में पहुंच गईं। सेमीफाइनल में उनके सामने थीं चीन की दिग्गज शतरंज खिलाड़ी तान झोंगयी, लेकिन दिव्या ने इस चुनौती को भी पार करते हुए फाइनल में कदम रखा। फाइनल में उनका मुकाबला भारत की शीर्ष खिलाड़ी कोनेरु हम्पी से हुआ और टाईब्रेक में जीत दर्ज कर दिव्या देशमुख ने महिला विश्व कप का खिताब अपने नाम कर लिया। इस ऐतिहासिक जीत के सफर में उन्होंने एक से बढ़कर एक दिग्गज खिलाड़ियों को मात दी और साबित कर दिया कि वे आज के शतरंज की सबसे चमकती सितारा हैं।

इतिहास रचते ही भर आईं आंखें – भावुक हुईं दिव्या

टाई-ब्रेक का पहला मुकाबला :

दिव्या ने टाई ब्रेक की पहली बाजी में सफेद मोहरों से खेलते हुए 1.e4 खेलने का निर्णय लिया जिसके जवाब में हम्पी ने काले मोहरों से पेट्रोव्स डिफेंस खेलना उचित समझा। 81 चाल चली इस बाजी की 34वीं चाल पर दिव्या को दो मोहरों के बदले हम्पी का वज़ीर मिल तो गया पर दिव्या हम्पी के शानदार डिफेंस को भेदने में नाकाम नज़र आई और पहली बाजी का अंत ड्रॉ में हुआ।

टाई-ब्रेक का दूसरा मुकाबला :

टाई ब्रेक के दूसरे मुकाबले में हम्पी ने सफेद मोहरों से कैटलन ओपनिंग खेली और लगभग ओपनिंग के बाद से ही बाजी बराबर नज़र आ रही थी और दोनों ही खिलाड़ी मज़बूत स्थिति में नज़र आ रहे थे पर दिव्या ने घड़ी में लगभग 8 मिनट की बढ़त बना ली थी जिसकी बदौलत उन्होंने अंत में एक ड्रॉ की तरफ अग्रसर बाजी में हम्पी से गलती करवा ही ली और इसी जीत के साथ विश्व कप विजेता बन गई।



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